Bhagwan Aur Khuda Lyrics. Bhagwan Aur Khuda is a Hindi poem Narrated by Manoj Bajpayee. The poem Written & Conceived by Milap Milan Zaveri. And the music was provided by Lijo George.
Bhagwan Aur Khuda Poem Details:
- Title: Bhagwan Aur Khuda
- Written & Conceived: Milap Milan Zaveri
- Music: Lijo George
- Poem Narrated: Manoj Bajpayee
- Music Supervisor: Azeem Dayani
Manoj Bajpayee - Bhagwan Aur Khuda Lyrics
भगवन और खुदा आपस में बात कर रहे थे|
मंदिर और मस्जिद के बिच चौराहे पर मुलाकात कर रहे थे|
के हाथ जोड़े हो या दुआ में उठे
कोई फर्क नहीं पड़ता है|
कोई मंत्र पढ़ता है तो कोई नमाज़ पढ़ता है|
इंसान को क्यों नहीं आती शर्म है|
जब वह बंदूक दिखा कर पूछ ता है|
की क्या तेरा धरम है|
उस बन्दूक से निकली गोली न ईद देखती है न होली|
सड़क पे बस सजती है बेगुना खून की रंगोली|
भगवन और खुदा आपस में बात कर रहे थे|
मंदिर और मस्जिद के बिच चौराहे पर मुलाकात कर रहे थे|
सब को हम दोनों ने इस ही मिटटी से बनाया|
कोई जन्मा अम्मी की कोख से
तो कोई माँ के गोद में रोता आया|
कोण है वह कमबख्त
जिस ने नफरत का पाठ पढ़ाया|
किसी अकबर को कहा माँ को मार
और अमर को हाथो अम्मी को मरवाया|
ममता का गला घटने ने वाले बेवकूफो को
कोई समझाओ मज़हब की इस जंग में तुमने
इंसानियत को दफनाया|
भगवन और खुदा आपस में बात कर रहे थे|
मंदिर और मस्जिद के बिच चौराहे पर मुलाकात कर रहे थे|
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